महामारी का रूप ले रहा है स्‍वाइन फ्लू, दिल्‍ली भी बुरी तरह चपेट में

महामारी का रूप ले रहा है स्‍वाइन फ्लू, दिल्‍ली भी बुरी तरह चपेट में

सेहतराग टीम

सर्दियां जाने में अभी देर है और स्‍वाइन फ्लू ने लोगों को चौतरफा अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। राजस्‍थान में पिछले 28 दिनों में 70 से अधिक लोगों की जान ले चुकी ये बीमारी तेजी से दिल्‍ली में भी पैर पसार रही है। पूरे देश में सिर्फ जनवरी में इस बीमारी के 2777 आधिकारिक मामले सामने आ चुके हैं और 85 लोगों की मौत हो चुकी है।

स्वाइन फ्लू का प्रकोप राजधानी दिल्ली सहित देश के तमाम हिस्सों में बढ़ रहा है। दिल्ली में 20 जनवरी तक इसके कुल 229 मामले दर्ज किए गए। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के समेकित रोग निगरानी कार्यक्रम के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में इसके मरीजों और मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है, जबकि उसके बाद पंजाब का स्थान है, जहां 90 लोग इसकी चपेट में आए और नौ की मौत हो गई।

रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना में भी बीमारी की आमद दर्ज की गई है। मूल रूप से सुअरों के श्वसन तंत्र से निकले वायरस के कारण होने वाली यह बीमारी बेहद संक्रामक है। सामान्य अवस्था में यह बीमारी सुअरों से मनुष्यों में नहीं फैलती। अमेरिका एवं यूरोपीय देशों में इस बीमारी के नाम के कारण सुअर के मांस के कारोबार पर पड़ने वाले असर के कारण विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने इसका नाम स्‍वाइन फ्लू के बदले एच1एन1 फ्लू कर दिया है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्‍यक्ष डॉक्‍टर के.के. अग्रवाल के अनुसार जरूरत इस बात की है कि हम बीमारी को लेकर घबराएं नहीं। ये सच है कि इस बीमारी में मौतें हो रही हैं मगर ऐसे व्‍यक्ति जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है उनमें ये बीमारी ज्‍यादा नुकसान नहीं करती बल्कि ये सामान्‍य फ्लू की तरह की बर्ताव करती है। डॉक्‍टर अग्रवाल कहते हैं कि स्‍वाइन फ्लू के लक्षण भी सामान्‍य फ्लू जैसे ही होते हैं इसलिए फ्लू होने पर किसी अच्‍छे चिकित्‍सक से दिखलाकर उसकी सलाह के अनुसार इलाज लें।

गौरतलब है कि छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं, डायबिटीज और दिल की बीमारी से मरीजों के इस बीमारी की चपेट में आने की आशंका अधिक होती है क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली सामान्य लोगों की तुलना में कमजोर होती है। वह सलाह देते हैं कि बीमारी की पहचान कर तत्काल इसका उपचार शुरू करना चाहिए अन्यथा मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।

आईडीएसपी के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल 14,992 लोग स्वाइन फ्लू के वायरस के शिकार हुए और इनमें से 1,103 की मौत हो गई। उससे पिछले बरस इसका प्रकोप ज्यादा रहा और कुल 38,811 मरीजों में 2,270 को बचाया नहीं जा सका।

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